Adhyay 1

अध्याय १ शलोक १

अध्याय १ शलोक १ TheGita – Chapter 1 – Shloka 1 Shloka 1 धृतराष्ट्र बोले —– हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया ? ।। १ ।। Dhrtarashtra asked of Sanjaya: O SANJAYA, what did my warrior sons and those of Pandu do when they were gathered at KURUKSHETRA, the field of religious activities?Tell me of those happenings. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २

अध्याय १ शलोक २ The Gita – Chapter 1 – Shloka 02 Shloka 2 संजय बोले —– उस समय राजा दुर्योधन ने व्यूह रचनायुक्त्त पाण्डवों की सेना को देखकर और द्रोणाचार्य के पास जाकर यह वचन कहा ।। २ ।। Sanjaya explained: Now seeing that the army of the PANDAVAS was set up properly, the Price DURYODHANA called his teacher, DRONA, to his side and spoke these words: The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३

अध्याय  १ शलोक ३   The Gita – Chapter 1 – Shloka 03 Shloka 3 हे आचार्य ! आपके बुद्भिमान शिष्य द्रु पदपुत्र धृष्टधुम्न द्वारा व्यूहाकार खड़ी की हुई पाण्डुपुत्रों की इस बड़ी भारी सेना को देखिए ।। ३ ।। Behold O, Master, the mighty army of the sons of PANDU, led by the son of DRUPADA, your talented disciple. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४,५,६

अध्याय १ शलोक ४,५,६ The Gita – Chapter 1 – Shloka 04-05-06 English Shloka 4 5 6 इस सेना में बड़े-बड़े धनुषोंवाले  तथा युद्ध में भीम और अर्जुन के समान शूरवीर सात्यकि और विराट तथा महारथी राजा द्रु पद धृष्टकेतु और चेकितान तथा बलवान् काशिराज, पुरुजित् कुन्तिभोज और मनुष्यों में श्रेष्ठ शैव्य, पराक्रमी युधामन्यु तथा बलवान् उत्तमौजा, सुभद्रापुत्र अभिमन्यु एवं द्रौपदी के पांचों पुत्र —– ये सभी महारथी हैं ।। ४ – ५ – ६ ।। Present here are the mighty archers, peers or friends, in warfare, of ARJUNA and BHIMA. Their names are: YUYUDHANA, VIRATA and DRUPADA, the great chariot-warrior. Other great warriors were also present on the battlefield: DHRSHTAKEUT, CHEKITANA and the brave and noble King of Kasi, KUNTIBHIJA and SAIBYA; these are among the great warriors. Other courageous and great chariot-warriors were: YUDHAMANYU, the brave UTTAMAUJA, SAUBHADRA, and the sons of DRAUPADI. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ७

अध्याय १ शलोक ७ The Gita – Chapter 1 – Shloka 07 Shloka 7 हे ब्राह्मणश्रेष्ठ ! अपने पक्ष में भी जो प्रधान हैं, उनको आप समझ लीजिये । आपकी जानकारी के लिये मेरी सेना के जो-जो सेनापति हैं, उनको बतलाता हूँ ।। ७ ।। Duryodhana spoke unto his master Drona: O Best of the twice born, I name all of those who are our distinguished Chiefs, the leaders of my army, of your information only. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ८

अध्याय १ शलोक ८ The Gita – Chapter 1 – Shloka 08 Shloka 8 आप —– द्रोणाचार्य और पितामह भीष्म तथा कर्ण और संग्रामविजयी कृपाचार्य तथा वैसे ही अश्वत्थामा, विकर्ण और सोमदत्त का पुत्र भूरिश्रवा ।। ८ ।। Your wise self, BHISMA, KARNA, KRIPA, the victorious in fight; ASVATTHAMA, VIKARNA and SAUMADATTI as well. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ९

अध्याय १ शलोक ९ The Gita – Chapter 1 – Shloka 09 Shloka 9 और भी मेरे लिये जीवन की आशा त्याग देने वाले बहुत से शूरवीर अनेक प्रकार के शस्त्रास्त्रों से सुसज्जित और सब-के-सब युद्ध में चतुर हैं ।। ९ ।। Duryodhana further said to Drona: Yet several other heroes and great men, well-trained in combat, armed with assorted powerful weapons and missiles, are ready to lay down their lives for me! The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १०

अध्याय १ शलोक १० The Gita – Chapter 1 – Shloka 10 Shloka 10 भीष्मपितामह द्वारा रक्षित हमारी वह सेना सब प्रकार से अजेय है और भीमद्वारा रक्षित इन लोगों की यह सेना जीतने में सुगम है ।। १० ।। Duryodhana explained with pride to Drona: Our army, led by BHISMA, is numerous and skilled. The army led by BHIMA, however, is weak and lacking in strength and power. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ११

अध्याय १ शलोक ११ The Gita – Chapter 1 – Shloka 11 Shloka 11 इसलिये सब मोर्चों पर अपनी-अपनी जगह स्थित रहते हुए आप लोग सभी नि:संदेह भीष्मपितामह की सब और से रक्षा करें ।। ११ ।। Duryodhana instructed his army: Now all of you quickly assume your proper positions for battle, your main goal being to protect and fight alongside BHISMA, your leader, by all means. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १२

अध्याय १ शलोक १२ The Gita – Chapter 1 – Shloka 12 Shloka 12 कोरवों में वृद् बड़े प्रतापी पितामह भीष्म ने उस दुर्योधन के ह्रदय में हर्ष उत्पन्न करते हुए उच्च स्वर से सिंह की दहाड़ के समान गरजकर शंख बजाया ।। १२ ।। To bring joy to DURYODHANA’s heart, the great grandsire BHISMA, the oldest and most famous of the KAURAVAS, roared loudly like a lion (a battle-cry), and blew his conch to signal the army to advance towards the enemy. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १३

अध्याय १ शलोक १३ The Gita – Chapter 1 – Shloka 13 Shloka 13 इसके पश्चात् शंख और नगारे तथा ढोल, मृदंग और नरसिंघे आदि बाजे एक साथ ही बज उठे । उनका वह शब्द बड़ा भयंकर हुआ ।। १३ ।। Tremendous noise followed. Conches, kettle-drums, tabors, and trumpets and cowhorns blared across the battlefield. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १४

अध्याय १ शलोक १४ The Gita – Chapter 1 – Shloka 14 Shloka 14 इसके अनन्तर सफेद घोडों से युक्त्त उत्तम रथ में बैठे हुए श्रीकृष्ण महाराज और अर्जुन ने भी अलौकिक शंख बजाये ।। १४ ।। MADHAVA (Lord Krishna) and PANDAVA were seated in their magnificent chariote attached to white horses and they blew gracefully their divine conches. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १५

अध्याय १ शलोक १५ The Gita – Chapter 1 – Shloka 15 Shloka 15 श्रीकृष्ण महाराज ने पाञ्चजन्य-नामक, अर्जुन ने देवदत्त-नामक और भयानक कर्मवाले भीमसेन ने पौण्ड्र-नामक महाशंख बजाया ।। १५ ।। The PANCHAJANYA (the name of one of the conches) was blown by HRISHIKESA (Lord Krishna). The conch named DEVADATTA was blown by DHANANJAYA (Arjuna). The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १६

अध्याय १ शलोक १६ The Gita – Chapter 1 – Shloka 16 Shloka 16 कुन्तीपुत्र राजा युधिष्ठिर ने अनन्तविजय-नामक और नकुल तथा सहदेव ने सुघोष और मणिपुष्पक नामक शंख बजाये ।। १६ ।। The King YUDISHTHIRA. the son of KUNTI blew the great conch called ANANTAVIYAYA: NAKUL and  SAHDEV blew SUGHOSHA and MANIPUSHPAKA (also names of conches). The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १७,१८

अध्याय १ शलोक १७,१८ The Gita – Chapter 1 – Shloka 17-18 Shloka 17   18 श्रेष्ठ धनुषवाले काशिराज और महारथी शिखण्डी एवं धृष्टधुम्न तथा राजा विराट और अजेय सात्यकि राजा द्रु पद एवं द्रौपदी के पाँचो पुत्र और बड़ी भुजावाले सुभद्रापुत्र अभिमन्यु —- इन सभी ने, हे राजन् ! सब ओर से अलग-अलग शंख बजाये ।। १७ – १८ ।। Several conches were also blown by: The ruler of KASI. the great warrior SIKHANDI, DHRSTHTADYUMNA, VIRATA, and SATYAKI, the invincible. DRUPADA and the sons of DRAUPADI, and the mighty armed son of SUBHADRA also blew their several conches. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक १९

अध्याय १ शलोक १९ The Gita – Chapter 1 – Shloka 19 Shloka 19 और उस भयानक शब्द ने आकाश और पृथ्वी-को भी गुँजाते हुए धार्तराष्ट्रों के अर्थात् आपके पक्षवालों के ह्रदय विदीर्ण कर दिये ।। १९ ।। The earth and sky was filled with the extremely loud and terrible noise of the PANDAVAS’ bugles and voices which struck fear in the hearts of the KAURAVAS (the sons of Dhrtarashtra). The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २०,२१

अध्याय १ शलोक २०,२१ The Gita – Chapter 1 – Shloka 20-21 Shloka 20  21 हे राजन् ! इसके बाद कपिध्वज अर्जुन ने मोर्चा बाँधकर डटे हुए धृतराष्ट्र-सम्बन्धियों को देखकर उस शस्त्र चलने की तैयारी के समय धनुष उठाकर ह्रषीकेश श्रीकृष्ण महाराज से यह वचन कहा —— हे अच्युत ! मेरे रथको दोनों सेनाओं के बीच में खड़ा कीजिये ।। २० – २१ ।। Sanjaya said: Then, my king, seeing the KAURAVAS (the army of Dhrtarashtra), positioned and ready to begin fighting, ARJUNA, whose flag was that of HANUMAN, spoke the following words to SHRI KRISHNA, as he lifted his bow to fight the battle. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २२

अध्याय १ शलोक २२ The Gita – Chapter 1 – Shloka 22 Shloka 22 और जब तक की मैं युद्धक्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इन विपक्षी योद्धाओं को भली प्रकार देख लू कि इस युद्ध रूप व्यापार में मुझे किन-किनके साथ युद्ध करना योग्य है, तब तक उसे खड़ा रखिये ।। २२ ।। Place my chariot, O ACHYUTA (Lord Krishna) between the two armies so that I may see those who wish to fight for us and also to see who I have to fight against, in this war. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २३

अध्याय १ शलोक २३ The Gita – Chapter 1 – Shloka 23 Shola 23 दुर्बुद्भि दुर्योधन का युद्ध में हित चाहनेवाले जो-जो ये राजा लोग इस सेना में आये हैं, इन युद्ध करनेवालों कों मैं देखूंगा ।। २३ ।। I desire to see all of those great warrior kings who have gathered here to fight alongside the evil-minded DURYODHANA (son of Dhrtarashtra). The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २४,२५

अध्याय १ शलोक २४,२५ The Gita – Chapter 1 – Shloka 24-25 Shloka 24 25 संजय बोले —– हे धृतराष्ट्र ! अर्जुन द्वारा इस प्रकार कहे हुए महाराज श्रीकृष्णचन्द्र ने दोनों सेनाओं के बीच में भीष्म और द्रोणाचार्य के सामने तथा सम्पूर्ण राजाओं के सामने उत्तम रथ को खड़ा कर के इस प्रकार कहा की हे पार्थ ! युद्ध के लिये जुटे हुए इन कौरवों को देख ।। २४ – २५ ।। Sanjaya continued: After being requested by GUDAKESA (Arjun), HRISHIKESA (Lord Krishna), placed ARJUN’s magnificent chariot between the armies. The chariot was now facing BHISMA, the Guru DRONA, and all the rulers of the earth; then Lord KRISHNA spoke to ARJUNA: “O, PARTHA (Arjuna), see yourself all of the KAURAVAS assembled here on the battlefield today.” The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २६

अध्याय १ शलोक २६ The Gita – Chapter 1 – Shloka 26 Shloka 26 इसके बाद पृथापुत्र अर्जुन ने उन दोनों ही सेनाओं में स्थित ताऊ-चाचों को, दादों-परदादों को, गुरुओं को, मामाओं को, भाइयों-पुत्रों को, पौत्रों को तथा मित्रों को, ससुरों को और सुह्रदों को भी देखा  ।। २६ ।। ARJUNA, gazed upon the army and then saw in both armies, paternal uncles, grandfathers, teachers, maternal uncles, cousins, sons, grandsons, friends, fathers-in-law, and well-wishers. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २७,२८

अध्याय १ शलोक २७,२८ The Gita – Chapter 1 – Shloka 27,28 Shloka 27,28 उन उपस्थित सम्पूर्ण बन्धुओं को देखकर वे कुन्तीपुत्र अर्जुन अत्यन्त करुणा से युक्त्त होकर शोक करते हुए यह वचन बोले ।। २७, ।। अर्जुन बोले —– हे कृष्ण ! युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजनसमुदाय को देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है तथा मेरे शरीर में कम्प एवं रोमांच हो रहा है ।। २८ ।। The son of KUNTI (Arjuna), after viewing all of those relatives and friends posted in their positions on the battlefield, became melancholy and filled with compassion (love) for his relatives, and spoke in a sad voice: Arjuna said: O KRISHNA, seeing my kinsmen (relatives) standing before me to fight against me in this war, I find myself unable to move my body, and my mouth has become parched. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक २९

अध्याय १ शलोक २९ The Gita – Chapter 1 – Shloka 29 Shloka 29 अर्जुन बोले —– हे कृष्ण ! युद्ध क्षेत्र में डटे हुए युद्ध के अभिलाषी इस स्वजनसमुदाय को देखकर मेरे अंग शिथिल हुए जा रहे हैं और मुख सूखा जा रहा है तथा मेरे शरीर में कम्प एवं रोमांच हो रहा है ।। २९ ।। He continued: I have no longer any control over my body; my hair stands on end. I cannot control my bow GANDIVA, and my skin burns all over. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३०

अध्याय १ शलोक ३० The Gita – Chapter 1 – Shloka 30 Shloka 30 हाथ से गाण्डीव धनुष गिर रहा है और त्वचा भी बहुत जल रही है तथा मेरा मन भ्रमित-सा हो रहा है, इसलिये मै खड़ा रहने को भी समर्थ नहीं हूँ ।। ३० ।। I can no longer stand; my knees are weak; my mind is clouded and spinning in many directions, and, dear KRISHNA, I am seeing bad signs. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३१

अध्याय १ शलोक ३१ The Gita – Chapter 1 – Shloka 31 Shloka 31 हे केशव ! मैं लक्षणों को भी विपरीत ही देख रहा हूँ तथा युद्ध में स्वजन-समुदाय को मारकर कल्याण भी नहीं देखता ।। ३१ ।। I cannot see any good in slaughtering and killing my friends and relatives in battle. O KRISHNA, I have no use nor desire for victory, empire or even materialistic pleasures. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३२

अध्याय १ शलोक ३२ The Gita – Chapter 1 – Shloka 32 Shloka 32 हे कृष्ण ! मैं न तो विजय चाहता हूँ और न राज्य तथा सुखों को ही । हे गोविन्द ! हमें ऐसे राज्य से क्या प्रयोजन है अथवा ऐसे भोगों से और जीवन से भी क्या लाभ है ? ।। ३२  ।। O GOVINDA, (Krishna), what in the use of a kindgom, enjoyment or even life? The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३३

अध्याय १ शलोक ३३ The Gita – Chapter 1 – Shloka 33 Shloka 33 हमें जिनके लिये राज्य, भोग और सुखादिं अभीष्ट हैं, वे ही ये सब धन और जीवन की आशा को त्याग कर युद्ध में खड़े हैं ।। ३३ ।। Those whom we seek these pleasures from (the enjoyment of kingdom), are standing before us staking their lives and property, possessions which I have no desire for. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३४

अध्याय १ शलोक ३४ The Gita – Chapter 1 – Shloka 34 Shloka 34 गुरुजन, ताऊ-चाचे, लड़के और उसी प्रकार दादे, मामे, ससुर, पौत्र, साले तथा और भी सम्बन्धी लोग हैं ।। ३४ ।। O Lord KRISHNA, I do not want to kill my teachers, uncles, friends, fathers-in-law, grandsons, brothers-in-law, and other relatives and well-wishers. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३५

अध्याय १ शलोक ३५ The Gita – Chapter 1 – Shloka 35 Shloka 35 हे मधुसूदन ! मुझे मारने पर भी अथवा तीनों लोकों के राज्य के लिये भी मैं इन सबको मारना नहीं चाहता, फिर पृथ्वी के लिये तो कहना ही क्या है ? ।। ३५ ।। Arjuna spoke to the Lord Madhusudhana (Lord Krishna): I could not slay (kill) my relatives even if I had to give my own life away. I could not slay them even for domination of the three worlds; how could I slay them for domination of this earth. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३६

अध्याय १ शलोक ३६ The Gita – Chapter 1 – Shloka 36 Shloka 36 हे जनार्दन ! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या प्रसन्नता होगी ? इन आततायियों को मारकर तो हमें पाप ही लगेगा ।। ३६ ।। What satisfaction or pleasure can we possibly derive, O JANARDHANA (Krishna) by doing away with the KAURAVAS (sons of Dhrtarashtha)? We will only commit a big sin by killing our desperate opponents? The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३७

अध्याय १ शलोक ३७ The Gita – Chapter 1 – Shloka 37 Shloka 37 अतएव हे माधव ! अपने ही बान्धव धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारने के लिये हम योग्य नहीं हैं ; क्योंकि अपने ही कुटुम्ब को मारकर हम कैसे सुखी होंगे ।। ३७ ।। O KRISHNA, why should we kill our own loved ones and kinsmen when no happiness or good can come out of so doing? The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ३८,३९

अध्याय १ शलोक ३८,३९ The Gita – Chapter 1 – Shloka 38,39 Shloka 38,39 यधपि लोभ से भ्रष्टचित्त हुए ये लोग से कुल के नाश से उत्पन्न दोष को और मित्रों से विरोध करने में पाप को नहीं देखते, तो भी हे जनार्दन ! कुल के नाश से उत्पन्न दोष को जानने वाले हम लोगों को इस पाप से हटने के लिये क्यों नहीं विचार करना चाहिये ? ।। ३८ – ३९ ।। Greed has clouded the minds and overpowered the intelligence of the sons of DHRTARASHTRA and so they feel no guilt, and fail to see the sins they are commiting by betraying friends and destroying their families. Arjuna continued: Why should we not realize, O KRISHNA, the wrong-doings and sins that the sons of DHRTARASATRA cannot see and realize, and save ourselves from committing these sins? The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४०

अध्याय १ शलोक ४० The Gita – Chapter 1 – Shloka 40 Shloka 40 कुल के नाश से सनातन कुल-धर्म नष्ट हो जाते हैं, धर्म के नाश हो जाने पर सम्पूर्ण कुल में पाप भी बहुत फैल जाता है ।। ४० ।। Arjuna explained: When one begins to destroy his own family, then his ancient, respected traditions, customs, moral values, principles, are destroyed as well. By the destruction of these, the whole family becomes evil and huge sins are committed. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४१

अध्याय १ शलोक ४१ The Gita – Chapter 1 – Shloka 41 Shloka 41  हे कृष्ण ! पाप के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रियां अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पन्न होता है  ।। ४१ ।। O KRISHNA, with the growth of evil in a family, the family women, become impure and evil, and sinning with those of other castes would follow. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४२

अध्याय १ शलोक ४२ The Gita – Chapter 1 – Shloka 42 Shloka 42  वर्णसंकर कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने के लिये ही होता है । लुप्त हुई पिण्ड और जलकी क्रिया वाले अर्थात् श्राद्ब और तर्पण से वंचित इनके पितरलोग भी अधो गति को प्राप्त होते हैं ।। ४२ ।। Arjuna continued; By the mixture of castes, families will breed more family destroyers; being deprived of food and water, their ancestors will also fall from heaven. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४३

अध्याय १ शलोक ४३ The Gita – Chapter 1 – Shloka 43 Shloka 43  इन वर्णसंकरकारक दोषों से कुलघातियों के सनातन कुल धर्म और जाती-धर्म नष्ट हो जाते हैं ।। ४३ ।। The everlasting traditions, customs and principles of a caste are destroyed when different castes join together and create mixed-blood generations. This leads to confusion of a caste’s customs. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४४

अध्याय १ शलोक ४४ The Gita – Chapter 1 – Shloka 44 Shloka 44  हे जनार्दन ! जिनका कुल-धर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काल तक नरक में वास होता है, ऐसा हम सुनते आये हैं ।। ४४ ।। Arjuna said to Lord Krishna: It has been heard, O JANARDHANA (Krishna) that hell is the permanent home for those men whose families’ religious practices have been broken and destroyed. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४५

अध्याय  १ शलोक ४५ The Gita – Chapter 1 – Shloka 45 Shloka 45  हा ! शोक ! हमलोग बुद्भिमान् होकर भी महान् पाप करने को तैयार हो गये हैं, जो राज्य और सुख के लोभ से स्वजनों को मारने के लिये उधत हो गये हैं ।। ४५ ।। Moreover, it is a great shame, that knowing and understanding everything, we are still ready to commit such a great sin of killing our kinsmen, just because of greed for kingdom and pleasures. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४६

अध्याय १ शलोक ४६ The Gita – Chapter 1 – Shloka 46 Shloka 46  यदि मुझ शस्त्ररहित एवं सामना न करने वाले को शस्त्र हाथ में लिये हुए धृतराष्ट्र के पुत्र रण में मार डालें तो वह मारना भी मेरे लिए अधिक कल्याणकारक होगा ।। ४६ ।। Arjuna spoke in misery: I think it would be better for me if the sons of DHRTARASHTRA slay me, with their weapons while I remain unarmed and unwilling to fight back. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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अध्याय १ शलोक ४७

अध्याय १ शलोक ४७ The Gita – Chapter 1 – Shloka 47 Shloka 47  संजय बोले —- रणभूमि में शोकसे उद्भिग्नमन वाले  अर्जुन इस प्रकार कहकर, बाण सहित धनुष को त्याग कर रथ के पिछले भाग में बैठ गये ।। ४७ ।। Sanjaya said: Having said this, ARJUNA, still extremely sad and confused sat on the seat of this chariot throwing away his bow and arrows. The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net

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