Author name: TheGita Hindi

अध्याय ९ शलोक ९

अध्याय ९  शलोक ९ The Gita – Chapter 9 – Shloka 9 Shloka 9  हे अर्जुन ! उन कर्मों में आसक्त्तिरहित और उदासीन के सदृश* स्थित मुझ परमात्मा को वे कर्म नहीं बांधते ।। ९ ।। Dear Arjuna, Karma has no affect on Me whatsoever. I am unattached and indifferent to Karma. I have no bondage to […]

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अध्याय ९ शलोक ८

अध्याय ९  शलोक ८ The Gita – Chapter 9 – Shloka 8 Shloka 8  अपनी प्रकृति को अङीग्कार करके स्वभाव के बल से परतन्त्र हुए इस सम्पूर्ण भूत समुदाय को बार-बार उनके कर्मों के अनुसार रचता हूँ ।। ८ ।। O Arjuna, I create all beings again and again according to their karma (performed actions in

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अध्याय ९ शलोक ७

अध्याय ९  शलोक ७ The Gita – Chapter 9 – Shloka 7 Shloka 7  हे अर्जुन ! कल्पों के अन्त में सब भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात् प्रकृति में लीन होते हैं और कल्पों के आदि में उनको मैं फिर रचता हूँ ।। ७ ।। O Arjuna, all beings realize and attain My

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अध्याय ९ शलोक ६

अध्याय ९  शलोक ६ The Gita – Chapter 9 – Shloka 6 Shloka 6  जैसे आकाश से उत्पन्न सर्वत्र विचरने वाला महान् वायु सदा आकाश में ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्प द्वारा उत्पन्न होने से सम्पूर्ण भूत मुझ में स्थित हैं, ऐसा जान ।। ६ ।। Arjuna, you must clearly understand that just as the

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अध्याय ९ शलोक ५

अध्याय ९  शलोक ५ The Gita – Chapter 9 – Shloka 5 Shloka 5  वे सब भूत मुझ में स्थित नहीं हैं, किंतु मेरी ईश्वरीय योग शक्त्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भी मेरा आत्मा वास्तव में भूतों में स्थित नहीं है ।। ५ ।। O Arjuna,

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अध्याय ९ शलोक ५

अध्याय ९  शलोक ५ The Gita – Chapter 9 – Shloka 5 Shloka 5 वे सब भूत मुझ में स्थित नहीं हैं, किंतु मेरी ईश्वरीय योग शक्त्ति को देख कि भूतों का धारण-पोषण करने वाला और भूतों को उत्पन्न करने वाला भी मेरा आत्मा वास्तव में भूतों में स्थित नहीं है ।। ५ ।। O Arjuna,

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अध्याय ९ शलोक ४

अध्याय ९  शलोक ४ The Gita – Chapter 9 – Shloka 4 Shloka 4  मुझ निराकार परमात्मा से यह सब जगत् जल से बरफ सदृश परिपूर्ण है और सब भूत मेरे अन्तर्गत संकल्प के आधार स्थित हैं, किंतु वास्तव में मैं उनमें स्थित नहीं हूँ ।। ४ ।। I am present in all of the universe

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अध्याय ९ शलोक ३

अध्याय ९  शलोक ३ The Gita – Chapter 9 – Shloka 3 Shloka 3  हे परंतप ! इस उपर्युक्त्त धर्म में श्रद्बारहित पुरुष मुझको न प्राप्त होकर मृत्यु रूप संसार चक्र में भ्रमण करते रहते हैं ।। ३ ।। Arjuna, those people who do not have faith in these principles and in this secret knowledge do

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अध्याय ९ शलोक २

अध्याय ९  शलोक २ The Gita – Chapter 9 – Shloka 2 Shloka 2  यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनियों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फल वाला, धर्मयुक्त्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है ।। २ ।। This Gyan is the most significant secret knowledge in the universe,

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अध्याय ९  शलोक १

अध्याय ९  शलोक १ The Gita – Chapter 9 – Shloka 1 Shloka 1  श्रीभगवान् बोले —- तुझ दोष दृष्टि रहित भक्त्त के लिये इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुन: भली भाँति कहूँगा, जिसको जानकर तू दुःख रूप संसार से मुक्त्त हो जायेगा ।। १ ।। Lord Krishna continued: Dear Arjuna, I shall explain

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