अध्याय ४ शलोक १४
अध्याय ४ शलोक १४ The Gita – Chapter 4 – Shloka 14 Shloka 14 कर्मों के फल में मेरी स्पृहा नहीं है, इसलिये मुझे कर्म लिप्त नहीं करते —- इस प्रकार जो मुझे तत्त्व से जान लेता है, वह भी कर्मों से नहीं बंधता ।। १४ ।। The Lord continued: O Arjuna, since I, the immortal […]