अध्याय ११ शलोक १८
अध्याय ११ शलोक १८ The Gita – Chapter 11 – Shloka 18 Shloka 18 आप ही जानने योग्य परम अक्षर अर्थात् परब्रह्म परमात्मा हैं, आप ही इस जगत् के परम आश्रय हैं, आप ही अनादि धर्म के रक्षक है और आप ही अविनाशी सनातन पुरुष हैं । ऐसा मेरा मत हैं ।। १८ ।। You […]