अध्याय ७

अध्याय ७ शलोक १०

अध्याय ७  शलोक १० The Gita – Chapter 7 – Shloka 10 Shloka 10  हे अर्जुन ! तू सम्पूर्ण भूतों का सनातन बीज मुझको ही जान । मैं बुद्बिमानों की बुद्भि और तेजस्वियों का तेज हूँ।। १० ।। Arjuna, know Me; I am the core of all beings. I am the intelligence in the intelligent, and […]

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अध्याय ७ शलोक ९

अध्याय ७  शलोक ९ The Gita – Chapter 7 – Shloka 9 Shloka 9  मैं पृथ्वी में पवित्र गन्ध और अग्नि में तेज हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों में उनका जीवन हूँ और तपस्वियों में तप हूँ ।। ९ ।। I am the aroma (fragrance) in the earth, the radiance in the fire. I am “life” in

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अध्याय ७ शलोक ८

अध्याय ७  शलोक ८ The Gita – Chapter 7 – Shloka 8 Shloka 8  हे अर्जुन ! मैं जल में रस हूँ, चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ, सम्पूर्ण वेदों में ओंकार हूँ, आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ ।। ८ ।। Dear Arjuna, I am the essence (the life) of water. I am

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अध्याय ७ शलोक ७

अध्याय ७  शलोक ७ The Gita – Chapter 7 – Shloka 7 Shloka 7  हे धनञ्जय ! मुझ से भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है । यह सम्पूर्ण जगत् सूत्र में सूत्र के मनियों के सदृश मुझ में गुंथा हुआ है  ।। ७ ।। Arjuna, there is in reality absolutely nothing else but Me, I

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अध्याय ७ शलोक ६

अध्याय ७  शलोक ६ The Gita – Chapter 7 – Shloka 6 Shloka 1  हे अर्जुन ! तू ऐसा समझ कि सम्पूर्ण भूत इन दोनों प्रकृतियों से ही उत्पन्न होने वाले हैं और मैं सम्पूर्ण जगत् का प्रभव तथा प्रलय हूँ अर्थात् सम्पूर्ण जगत् का मूल कारण हूँ  ।। ६ ।। The Lord spoke solemnly: O Arjuna, you must

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अध्याय ७ शलोक ४,५

अध्याय ७  शलोक ४,५ The Gita – Chapter 7 – Shloka 4,5 Shloka 4,5  पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, आकाश, मन, बुद्भि और अहंकार भी —- इस प्रकार यह आठ प्रकार से विभाजित मेरी प्रकृति है । यह आठ प्रकार के भेदों वाली तो अपरा अर्थात् मेरी जड़ प्रकृति है और हे महाबाहो ! इससे दूसरी को, जिससे

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अध्याय ७ शलोक ३

अध्याय ७  शलोक ३ The Gita – Chapter 7 – Shloka 3 Shloka 3  हजारों मनुष्यों में कोई एक मेरी प्राप्ति के लिये यत्न करता है और उन यत्न करने वाले योगियों में भी कोई एक मेरे परायण होकर मुझ को तत्त्व से अर्थात् यथार्थ रूप से जानता है ।। ३ ।। It is very difficult to know

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अध्याय ७ शलोक २

अध्याय ७  शलोक २ The Gita – Chapter 7 – Shloka 2 Shloka 2  मैं तेरे लिये इस विज्ञान सहित तत्त्व ज्ञान को सम्पूर्णतया कहूँगा, जिसको जानकर संसार में फिर और कुछ भी जानने योग्य शेष नहीं रह जाता ।। २ ।। After I divulge this secret to you, the knowledge you will have attained from this

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अध्याय ७  शलोक १

अध्याय ७  शलोक १ The Gita – Chapter 7 – Shloka 1 Shloka 1  श्रीभगवान् बोले —- हे पार्थ ! अनन्य प्रेम से मुझ में आसक्त्त चित्त तथा अनन्य भाव से मेरे परायण होकर योग में लगा हुआ तू जिस प्रकार से सम्पूर्ण विभूति, बल, ऐश्वर्यादि गुणों से युक्त्त, सबके आत्म रूप मुझ को संशयरहित जानेगा,

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