अध्याय ५ शलोक ७
अध्याय ५ शलोक ७ The Gita – Chapter 5 – Shloka 7 Shloka 7 जिसका मन अपने वश में है, जो जितेन्द्रिय एवं विशुद्भ अन्त:करण वाला है और सम्पूर्ण प्राणियों का आत्मरूप परमात्मा ही जिसका आत्मा है, ऐसा कर्म योगी कर्म करता हुआ भी लिप्त नहीं होता ।। ७ ।। The Lord spoke onwards: The Karmyogi […]