अध्याय २

अध्याय २ शलोक ३०

अध्याय २ शलोक ३० The Gita – Chapter 2 – Shloka 30 Shloka 30  हे अर्जुन ! यह आत्मा सबके शरीरों में सदा ही अवध्य है । इस कारण सम्पूर्ण प्राणियों के लिए तू शोक करने के योग्य नहीं है ।। ३० ।। ARJUNA, although the body can be slain, the Soul cannot. The Soul […]

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अध्याय २ शलोक २९

अध्याय २ शलोक २९ The Gita – Chapter 2 – Shloka 29 Shloka 29  कोई एक महापुरुष ही इस आत्मा को आश्चर्य की भाँति देखता है वैसा ही दूसरा कोई महापुरुष ही इसके तत्व का आश्चर्य की भांति वर्णन करता है तथा दूसरा कोई अधिकारी पुरुष ही इसे आश्चर्य की भांति सुनता है और कोई-कोई

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अध्याय २ शलोक २८

अध्याय २ शलोक २८ The Gita – Chapter 2 – Shloka 28 Shloka 28  हे अर्जुन ! सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट थे और मरने के बाद भी अप्रकट हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट है ; फिर ऐसी स्थिति में क्या शोक करना है ।। २८ ।। ARJUNA, all beings

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अध्याय २ शलोक २७

अध्याय २ शलोक २७ The Gita – Chapter 2 – Shloka 27 Shloka 27  क्योंकि इस मान्यता के अनुसार जन्मे हुए की मृत्यु निश्चित है और मरे का जन्म निश्चित है । इससे भी इस बिना उपायवाले विषय में तू शोक करने के योग्य नहीं है ।। २७ ।। The Lord continued: Dear ARJUNA, knowing

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अध्याय २ शलोक २६

अध्याय २ शलोक २६ The Gita – Chapter 2 – Shloka 26 Shloka 26  किंतु यदि तू इस आत्मा को सदा जन्मनेवाला तथा सदा मारनेवाला मानता है, तो भी हे महाबाहो ! तू इस प्रकार शोक करने के योग्य नहीं है ।। २६ ।। Even if you incorrectly believe. O ARJUNA, that the Soul is

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अध्याय २ शलोक २५

अध्याय २ शलोक २५ The Gita – Chapter 2 – Shloka 25 Shloka 25  यह आत्मा अव्यक्त्त है, यह आत्मा अचिन्त्य है और यह आत्मा विकाररहित कहा जाता है । इससे हे अर्जुन ! इस आत्मा को उपर्युक्त्त प्रकार से जानकर तू शोक करने योग्य नहीं है अर्थात् तुझे शोक करना उचित नहीं है ।।

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अध्याय २ शलोक २४

अध्याय २ शलोक २४ The Gita – Chapter 2 – Shloka 24 Shloka 24  क्योंकि यह आत्मा अच्छेध है, यह आत्मा अदाह्रा अक्लेध और नि:संदेह अशोष्य है तथा यह आत्मा नित्य, सर्वव्यापी, अचल, स्थिर रहने वाला और सनातन है ।। २४ ।। The Soul is eternal, everlasting. It cannot be destroyed, broken or burnt; it

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अध्याय २ शलोक २३

अध्याय २ शलोक २३ The Gita – Chapter 2 – Shloka 23 Shloka 23  इस आत्मा को शस्त्र नहीं काट सकते, इसको आग नहीं जला सकती, इसको जल नहीं गला सकता और वायु नहीं सुखा सकता ।। २३ ।। The Soul cannot be cut by weapons, burnt by fire, absorbed by air, nor can water

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अध्याय २ शलोक २२

अध्याय २ शलोक २२ The Gita – Chapter 2 – Shloka 22 Shloka 22  जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नये शरीरों को प्राप्त होता है ।। २२ ।। The Blessed Lord said: Just as a person gets rid of

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अध्याय २ शलोक २१

अध्याय २ शलोक २१ The Gita – Chapter 2 – Shloka 21 Shloka 21  हे पृथापुत्र अर्जुन ! जो पुरुष इस आत्मा को नाशरहित, नित्य, अजन्मा और अव्यय जानता है, वह पुरुष कैसे किसको मरवाता है और कैसे किसको मारता है ।। २१ ।। ARJUNA, he who knows the Soul to be eternal, indestructible, permanent

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