अध्याय २ शलोक ३०
अध्याय २ शलोक ३० The Gita – Chapter 2 – Shloka 30 Shloka 30 हे अर्जुन ! यह आत्मा सबके शरीरों में सदा ही अवध्य है । इस कारण सम्पूर्ण प्राणियों के लिए तू शोक करने के योग्य नहीं है ।। ३० ।। ARJUNA, although the body can be slain, the Soul cannot. The Soul […]