अध्याय ११

अध्याय ११ शलोक १३

अध्याय ११ शलोक १३ The Gita – Chapter 11 – Shloka 13 Shloka 13  पाण्डु पुत्र अर्जुन ने उस समय अनेक प्रकार से विभक्त्त अर्थात् पृथक्-पृथक् सम्पूर्ण जगत् को देवों के देव श्रीकृष्ण भगवान् के उस शरीर में एक जगह स्थित देखा ।।  ।। Here, the Pandava (Arjuna) saw the whole universe in its several […]

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अध्याय ११ शलोक १२

अध्याय ११ शलोक १२ The Gita – Chapter 11 – Shloka 12 Shloka 12  आकाश में हजार सूर्यो के एक साथ उदय होने से उत्पन्न जो प्रकाश हो, वह भी उस विश्व रूप परमात्मा के प्रकाश के सद्र्श कदाचित् ही हो ।। १२ ।। The divine radiance and beautiful light that was being emmitted by

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अध्याय ११ शलोक १०,११

अध्याय ११ शलोक १०,११ The Gita – Chapter 11 – Shloka 10,11 Shloka 10,11  अनेक मुख और नेत्रों से युक्त्त, अनेक अद्भ्रुत दर्शनों वाले, बहुत से दिव्य भूषणों से युक्त्त और बहुत से दिव्य शस्त्रों को हाथों में उठाये हुए, दिव्य माला और वस्त्रों को धारण किये हुए और दिव्य गन्ध का सारे शरीर में लेप किये हुए, सब

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अध्याय ११ शलोक ९

अध्याय ११ शलोक ९ The Gita – Chapter 11 – Shloka 9 Shloka 9  संजय बोले — हे राजन् ! महा योगेश्वर और सब पापों के नाश करने वाले भगवान् ने इस प्रकार कहकर उसके पश्चात् अर्जुन को परम ऐश्वर्य युक्त्त दिव्य स्वरूप दिखलाया ।। ९ ।। Sanjaya (narrator of the Geeta), further explained to

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अध्याय ११ शलोक ८

अध्याय ११ शलोक ८ The Gita – Chapter 11 – Shloka 8 Shloka 8  परन्तु मुझको तू इन अपने प्राकृत नेत्रों द्वारा देखने में निःसंदेह समर्थ नहीं है ; इसी से मैं तुझे दिव्य अर्थात् अलौकिक चक्षु देता हूँ ; इससे तू मेरी ईश्वरीय योग शक्त्ति को देख ।। ८ ।। However, Dear Arjuna, understand

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अध्याय ११ शलोक ७

अध्याय ११ शलोक ७ The Gita – Chapter 11 – Shloka 7 Shloka 7  हे अर्जुन ! अब इस मेरे शरीर में एक जगह स्थित चराचर सहित सम्पूर्ण जगत् को देख तथा और भी जो कुछ देखना चाहते हो सो देख ।। ७ ।। Arjuna, see before you now, the whole universe as it both

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अध्याय ११ शलोक ६

अध्याय ११ शलोक ६ The Gita – Chapter 11 – Shloka 6 Shloka 6  हे भरतवंशी अर्जुन ! तू मुझ में आदित्यों को अर्थात् अदितिं के द्बादश पुत्रों को, आठ वसुओं को, एकादश रुद्रों को, दोनों अश्विनी कुमारों को और उन्चास मरुदगणों को देख तथा और भी बहुत से पहले न देखे हुए आश्चर्य मय

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अध्याय ११ शलोक ५

अध्याय ११ शलोक ५ The Gita – Chapter 11 – Shloka 5 Shloka 5  श्रीभगवान् बोले —–हे पार्थ ! अब तू मेरे सैकड़ों-हजारों नाना प्रकार के और नाना वर्ण तथा नाना आकृति वाले अलौकिक रूपों को देख ।। ५ ।। The Blessed lord said: Behold O Dear Arjuna, as I reveal to you hundreds and

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अध्याय ११ शलोक ४

अध्याय ११ शलोक ४ The Gita – Chapter 11 – Shloka 4 Shloka 4  हे प्रभो ! यदि मेरे द्वारा आपका वह रूप देखा जाना शक्य है—ऐसा आप मानते है, तो हे योगेश्वर ! उस अविनाशी स्वरूप का मुझे दर्शन कराइये ।। ४।। O Great Lord of Yoga, if you think of me as being

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अध्याय ११ शलोक ३

अध्याय ११ शलोक ३ The Gita – Chapter 11 – Shloka 3 Shloka 3  हे परमेश्वर ! आप अपने को जैसा कहते हैं, यह ठीक ऐसा ही है, परन्तु हे पुरुषोतम ! आपके ज्ञान,ऐश्वर्य,शक्त्ति,बल,वीर्य और तेज से युक्त्त ऐश्वर्य रूप को मैं प्रत्यक्ष देखना चाहता हूँ ।। ३ ।। O Blessed Lord, Your divine words

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