अध्याय १० शलोक ३२
अध्याय १० शलोक ३२ The Gita – Chapter 10 – Shloka 32 Shloka 32 हे अर्जुन !सृष्टियों का आदि और अन्त तथा मध्य भी मै ही हूँ । मैं विद्याओं में अध्यात्म विद्या अर्थात् ब्रह्मविद्या और परस्पर विवाद करने वालों का तत्व-निर्णय के लिये किया जाने वाला वाद हूँ ।। ३२ ।। I am the beginning […]