Author name: TheGita Hindi

अध्याय १८ शलोक ७८

अध्याय १८ शलोक  ७८ The Gita – Chapter 18 – Shloka 78 Shloka 78  हे राजन् ! जहां योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण हैं और जहाँ गाण्डीव धनुषधारी अर्जुन हैं, वहीं पर श्री, विजय, विभूति और अचल नीति है —-ऐसा मेरा मत है ।। ७८ ।। Wherever there is the Divine Lord Krishna, the Master of all […]

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अध्याय १८ शलोक ७७

अध्याय १८ शलोक  ७७ The Gita – Chapter 18 – Shloka 77 Shloka 77  हे राजन् ! श्रीहरि के उस अत्यन्त विलक्षण रूप को भी पुन:-पुन: स्मरण करके मेरे चित्त में महान् आश्चर्य होता है और मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ।। ७७ ।। O My King, whenever I remember that most beautiful and

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अध्याय १८ शलोक ७६

अध्याय १८ शलोक  ७६ The Gita – Chapter 18 – Shloka 76 Shloka 76  हे राजन् ! भगवान् श्रीकृष्ण और अर्जुन के इस रहस्ययुक्त्त, कल्याण कारक और अदभुत संवाद को पुन:-पुन स्मरण करके मैं बार-बार हर्षित हो रहा हूँ ॥ ७६ ॥ The more I recall these glorious words, my King, the more my heart

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अध्याय १८ शलोक ७५

अध्याय १८ शलोक  ७५ The Gita – Chapter 18 – Shloka 75 Shloka 75  श्री व्यास जी की कृपा से दिव्य दृष्टि पाकर मैंने इस परम गोपनीय योग को अर्जुन के प्रति कहते हुए स्वयं योगेश्वर भगवान् श्रीकृष्ण से प्रत्यक्ष सुना है ।। ७५ ।। By the kindness of the Holy poet, Ved O’Vyas, I

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अध्याय १८ शलोक ७४

अध्याय १८ शलोक  ७४ The Gita – Chapter 18 – Shloka 74 Shloka 74  सञ्जय बोले —-इस प्रकार मैंने श्री वासुदेव के और महात्मा अर्जुन के इस अदभुत रहस्य युक्त्त, रोमाञ्चकारक संवाद को सुना ।। ७४ ।। Sanjaya concluded: Thus my dear King, I have recited to you the very same sacred conversation of the Lord

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अध्याय १८ शलोक ७३

अध्याय १८ शलोक  ७३ The Gita – Chapter 18 – Shloka 73 Shloka 73  अर्जुन बोले —-हे अच्युत ! आपकी कृपा से मेरा मोह नष्ट हो गया और मैंने स्मृति प्राप्त कर ली है, अब मैं संशय रहित होकर स्थित हूँ, अत: आपकी आज्ञा का पालन करूँगा ।। ७३ ।। Arjuna replied to the Almighty

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अध्याय १८ शलोक ७२

अध्याय १८ शलोक  ७२ The Gita – Chapter 18 – Shloka 72 Shloka 72  हे पार्थ ! क्या इस ( गीता शास्त्र ) को तूने एकाग्रचित से श्रवण किया ? और हे धनंजय ! क्या तेरा अज्ञान जनित मोह नष्ट हो गया ।। ७२ ।। Have you heard these words of wisdom My Dear Devotee,

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अध्याय १८ शलोक ७१

अध्याय १८ शलोक  ७१ The Gita – Chapter 18 – Shloka 71 Shloka 71  जो मनुष्य श्रद्धा युक्त्त और दोष दृष्टि से रहित होकर इस गीता शास्त्र का श्रवण भी करेगा, वह भी पापों से मुक्त्त होकर उत्तम कर्म करने वालों के श्रेष्ठ लोकों को प्राप्त होगा ।। ७१ ।। He who only listen to

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अध्याय १८ शलोक  ७०

अध्याय १८ शलोक  ७० The Gita – Chapter 18 – Shloka 70 Shloka 70  जो पुरुष इस धर्ममय हम दोनों के संवाद रूप गीता शास्त्र को पढ़ेगा, उसके द्वारा भी मैं ज्ञान यज्ञ से पूजित होऊँगा —– ऐसा मेरा मत है ।। ७० ।। The Blessed Lord Krishna declared: He who studies and truly learns

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अध्याय १८ शलोक  ६९

अध्याय १८ शलोक  ६९ The Gita – Chapter 18 – Shloka 69 Shloka 69  उससे बढ़ कर मेरा प्रिय कार्य करने वाला मनुष्यों में कोई भी नहीं है ; तथा पृथ्वी भर में उससे बढ़ कर मेरा प्रिय दूसरा कोई भविष्य में होगा भी नहीं ।। ६९ ।। There exists no man among men in

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