अध्याय १ शलोक ४१
अध्याय १ शलोक ४१ The Gita – Chapter 1 – Shloka 41 Shloka 41 हे कृष्ण ! पाप के अधिक बढ़ जाने से कुल की स्त्रियां अत्यन्त दूषित हो जाती हैं और हे वार्ष्णेय ! स्त्रियों के दूषित हो जाने पर वर्णसंकर उत्पन्न होता है ।। ४१ ।। O KRISHNA, with the growth of evil […]