अध्याय २ शलोक ५६
अध्याय २ शलोक ५६ The Gita – Chapter 2 – Shloka 56 Shloka 56 दुःखों की प्राप्ति होने पर जिसके मन में उद्बेग नहीं होता, सुखों की प्राप्ति में जो सर्वथा नि:स्पृह है तथा जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गये हैं, ऐसा मुनि स्थिर बुद्भि कहा जाता है ।। ५६ ।। He whose […]