अध्याय ५ शलोक २२
अध्याय ५ शलोक २२ The Gita – Chapter 5 – Shloka 22 Shloka 22 जो ये इन्द्रिय तथा विषयों के संयोग से उत्पन्न होने वाले सब भोग हैं, यद्यपि विषयी पुरुषों को सुख रूप भासते हैं तो भी दुःख के ही हेतु हैं और आदि अन्त वाले अर्थात् अनित्य हैं । इसलिये हे अर्जुन ! बुद्भिमान […]