अध्याय १३ शलोक १६

अध्याय १३ शलोक १६

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The Gita – Chapter 13 – Shloka 16

Shloka 16

 वह परमात्मा विभाग रहित एक रूप से आकाश के सद्र्श परिपूर्ण होने पर भी चराचर सम्पूर्ण भूतों में विभक्त्त सा स्थित प्रतीत होता है ; तथा वह जानने योग्य परमात्मा विष्णु रूप से भूतों को धारण-पोषण करने वाला और रुद्र रूप संहार करने वाला तथा ब्रह्मा रूप से सबको उत्पन्न करने वाला है ।। १६ ।।

He is undivided and yet he appears to be divided in beings. He supports, swallows up and also creates all beings.

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