अध्याय ८ शलोक २७
The Gita – Chapter 8 – Shloka 27
Shloka 27
हे पार्थ ! इस प्रकार इन दोनों मार्गों को तत्त्व से जान कर कोई भी योगी मोहित नहीं होता । इस कारण हे अर्जुन ! तू सब काल में सम बुद्भि रूप योग से युक्त्त हो अर्थात् निरन्तर मेरी प्राप्ति के लिये साधन करने वाला हो ।। २७ ।।
O Arjuna, knowing these two paths, no Yogi ever becomes confused, deluded or unhappy. Therefore Arjuna, you should try to achieve Yoga, the Supreme state of happiness, at all times.
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