लोभ-लालच

लोभ-लालच

अध्याय – 14 – श्लोक -17

सत्वगुण से ज्ञान उत्पन्न होता है और रजोगुण से निस्संदेह लोभ तथा तमोगुण से प्रमाद और मोह उत्पन्न होते है और अज्ञान भी होता है ।। १७ ।।

अध्याय – 16 – श्लोक -21

काम, क्रोध तथा लोभ — ये तीन प्रकार के नरक के द्वार आत्मा का नाश करने वाले अर्थात् उसको अधोगति में ले जाने वाले हैं । अतएव इन तीनों को त्याग देना चाहिये ।। २१ ।।

अध्याय – 17 – श्लोक -25

तत् अर्थात् ‘तत्’ नाम से कहे जाने वाले परमात्मा का ही यह सब है, इस भाव से फल को न चाहकर नाना प्रकार की यज्ञ तपरूप क्रियाएँ तथा दानरूप क्रियाएँ कल्याण की इच्छा वाले पुरुषों द्वारा की जाती हैं ।। २५ ।।

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