अध्याय ९ शलोक ७
The Gita – Chapter 9 – Shloka 7
Shloka 7
हे अर्जुन ! कल्पों के अन्त में सब भूत मेरी प्रकृति को प्राप्त होते हैं अर्थात् प्रकृति में लीन होते हैं और कल्पों के आदि में उनको मैं फिर रचता हूँ ।। ७ ।।
O Arjuna, all beings realize and attain My true nature at the end of Brahma’s Day knows as Kalpa.
I, the Supreme Being, create them again at the beginning of every Kalpa.
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