अध्याय ७ शलोक १७
The Gita – Chapter 7 – Shloka 17
Shloka 17
उनमें नित्य मुझमें एकीभाव से स्थित अनन्य प्रेम भक्त्ति वाला ज्ञानी भक्त्त अति उत्तम है ; क्योंकि मुझको तत्त्व से जानने वाले ज्ञानी को मैं अत्यन्त प्रिय हूँ और वह ज्ञानी मुझे अत्यन्त प्रिय हैं ।। १७ ।।
Among all of these, O Arjuna, only the wise who are always thinking of Me with true love and devotion, are special and dear to Me, and I am dear to them as well.
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