अध्याय ६ शलोक १४
The Gita – Chapter 6 – Shloka 14
Shloka 14
ब्रह्मचारी व्रत में स्थित , भयरहित तथा भलीभांति शांत अन्त: करणवाला सावधान योगी मन को रोककर मुझ में चितवाला और मेरे परायण होकर स्थित होंवे ||१४ ||
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