अध्याय ४ शलोक २८
The Gita – Chapter 4 – Shloka 28
Shloka 28
कई पुरुष द्रव्य सम्बन्धी यज्ञ करने वाले हैं, कितने ही तपस्या रूप यज्ञ करने वाले हैं, तथा दूसरे कितने ही योगरूप यज्ञ करने वाले हैं, कितने ही अहिंसादि तीक्ष्ण व्रतों से युक्त्त यत्नशील पुरुष स्वाध्याय रूप ज्ञान यज्ञ करने वाले हैं ।। २८ ।।
Sacrifices come in many forms. Giving away material wealth for charity is a sacrifice. Austerity is a sacrifice. Yoga is a sacrifice. Making vows and promises involve sacrifice. Even self-study is a sacrifice.
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