अध्याय १३ शलोक ८
The Gita – Chapter 13 – Shloka 8
Shloka 8
इस लोक और परलोक के सम्पूर्ण भोगों में आसक्ति का अभाव और अहंकार का भी अभाव, जन्म, मृत्यु, जरा और रोग आदि में दुःख और दोषों का बार-बार विचार करना ।। ८ ।।
Indifference to the sense-objects (such as sound, touch, etc.);absence of egoism (e.g. I am superior to all); reflection on the evil in birth, death, old age, sickness and pain.
The Gita in Sanskrit, Hindi, Gujarati, Marathi, Nepali and English – The Gita.net