अध्याय १३ शलोक ७

अध्याय १३  शलोक ७

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The Gita – Chapter 13 – Shloka 7

Shloka 7

 श्रेष्टता के अभिमान का  अभाव, दम्भाचरण का अभाव, किसी भी प्राणी को किसी भी प्रकार न सताना, क्षमाभाव, मन-वाणी आदि की सरलता, श्रद्बा भक्त्ति सहित, गुरु की सेवा, बाहर-भीतर की शुद्भि अन्त:करण की स्थिरता और मन इन्द्रियों सहित शरीर का निग्रह ।। ७ ।।

Humility, modesty, non-injury, forgiveness, uprightness, service of the teacher, purity, steadfastness, self-control.

 

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