अध्याय ११ शलोक २०
The Gita – Chapter 11 – Shloka 20
Shloka 20
हे महात्मन् ! यह स्वर्ग और पृथ्वी के बीच का सम्पूर्ण आकाश तथा सब दिशाएँ एक आप से ही परिपूर्ण है तथा आप के इस अलौकिक और भयंकर रूप को देख कर तीनो लोक अतिव्यथा को प्राप्त हो रहे हैं ।। २० ।।
O Mighty Lord, Your Spirit fills the infinite space between the Heaven and earth. The three worlds tremble before the extreme power and endless might of your wondrous and fearful form, O Great King of all Lords.
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